लेखनी कहानी -17-May-2022
लेखक आदर्श पाण्डेय
ज़िक्र भी होगा तुम्हरा ,फ़िक्र भी होगा तुम्हारा
जिस दिन माँ न होगी घर मे,वो घर भी मंदिर ना होगा तुम्हारा
ये जो करीब का रिश्ता ,गरीब बना फिर रहा है ना
यहाँ माँ को तालाब और इश्क को समंदर समझा होगा
ये जो इश्क़ मे समंदर बने है मोतरमा के लिए ना
ये खुद तो डूबेंगे ही, समदर को भी बदनाम करते फिरेंगे
घर के गालियरों मे इश्क़ नही किया जाता मेरे बच्चे
उम्र तमाम है इश्क़ बदनाम नही किया जाता मेरे बच्चे
राह ऐ मोहब्बत भी ही अजीब चीज़ दोस्त
जहाँ मन होगा वहा मुक़द्दर ना बना होगा
Sachin dev
18-May-2022 08:00 PM
Nice
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Neha syed
18-May-2022 07:39 PM
Nice
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Fareha Sameen
18-May-2022 12:17 PM
Nice
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